Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana Options
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ध्यान से मन की चंचलता कम होती है और अंदर का डर धीरे-धीरे शून्य होने लगता है।
जैसे ही हमारे दिमाग से शरीर को संकेत मिलता है की कुछ खतरा हो सकता है तो शरीर अपनी अलग प्रतिक्रियाएं देता है.
अपने डर को एक अवसर की तरह देखे ना की किसी खतरे के समान, जब आप अपने डर (एंजायटी) को अपने फायदे के लिए उपयोग करने लगते हैं तो यह कभी भी आपको हानि नहीं पहुंचा पाता है।
निष्कर्ष आपका डर आपका दुश्मन नहीं है – वह एक शिक्षक है, जो आपको कुछ सिखाने आया है।
एक कागज पर उस डर को लिखिए जो आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
ज्यादा डर लगने से होता यह हैं मन में ऐसे विचार और घटनाएं आने लगती हैं, मन ऐसी घटनाओं की कलपना करने लगता हैं जो वास्तव में घटित ही नहीं हुईं होती हैं। यहीं डर लगने का मूल और असली कारण होता हैं अर्थात् डर लगने से आप और डरते हैं।
यहाँ हमारे कहने का मतलब ये नहीं है की आप शेर के सामने जाकर खड़े हो जाइए. हम ये कहना चाहते हैं की जिस तरह की परिस्थितयों से आपको डर लगता है, जहाँ जाने से आपको डर लगता है, जो काम करने से आपको डर लगता है, जिसके सामने जाने से आपको डर लगता है,वहां जाना शुरू कीजिये.
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जिन बातों से या चीजों से हमें डर लगता है अक्सर वे हमें बार-बार याद आती हैं और हर काम में मुश्किल खड़ी कर देती है। इन घटनाओं को भूलने या इनसे छुटकारा पाने के लिए योग और ध्यान सबसे सरल उपाय है। ध्यान और नियमित व्यायाम करना डर दूर करने का मंत्र है।
एक बात हम सब को समझनी होगी की इस दुनिया में ऐसी कोई दवा नहीं बनी है जिसे लेते ही आदमी का डर ख़त्म हो जाए और फिर कभी वो जिन्दगी में डरे ही ना.
अपने मन को डर से भटकाने के लिए कोई फनी चीज देखें या चुट्कुले पढ़ें।
उत्तर: नहीं। डर से भागने की बजाय Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana उसका सामना करना ही समाधान है।
डर के स्रोत को समझें: क्या यह कुछ स्पष्ट है, जैसे किसी पगडंडी पर सांप का दिखाई देना? हो सकता है कि करियर काउंसलर के ऑफिस के दरवाजे के सामने से गुजरना आपके मन को वापिस उसी तरह की स्थिति में ले जाता है, जैसा आप अपने हाई स्कूल के कॉरीडोर से गुजरते समय महसूस करते थे। अपने डर के हर संभावित कारण का पता लगाएं। आप अपने डर को जितना अधिक समझेंगे, आपके लिए उतना ही बेहतर होगा।